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सरस्वती

सरस्वती

वाग्देवीशारदाभारतीवाणी

विवरण

माता सरस्वती विद्या, वाणी, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी हैं। उन्हें वेदों में वाग्देवी और ब्रह्मा की शक्ति कहा गया है। उनका स्वरूप श्वेतवस्त्रा, वीणा वादिनी और हंसवाहिनी के रूप में वर्णित है। वे शुद्धता, सत्य और ज्ञान की प्रतीक मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं में सरस्वती को वेदों की माता कहा गया है। वे ज्ञान की वह शक्ति हैं, जिनसे सम्पूर्ण ब्रह्मांड को स्वर, लय और विज्ञान प्राप्त होता है। उनका वाहन हंस विवेक और शुद्धि का प्रतीक है, जबकि मोर सौंदर्य और कला का संकेत देता है। हाथों में वीणा (संगीत और लय), पुस्तक (ज्ञान), माला (भक्ति और साधना) और कमल (पवित्रता) उनके गुणों को दर्शाते हैं। सरस्वती जयंती या वसंत पंचमी उनका प्रमुख पर्व है। इस दिन विद्यार्थी, कलाकार और शोधकर्ता सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं। शैक्षिक संस्थानों, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में सरस्वती वंदना आयोजित होती है। यह दिन ज्ञानार्जन और नई शुरुआत के लिये अत्यंत शुभ माना जाता है। भारत ही नहीं, नेपाल, बांग्लादेश, बाली (इंडोनेशिया) और जापान तक उनकी पूजा के रूप मिलते हैं। संस्कृत, शास्त्रीय संगीत और भारतीय कला की परंपरा सरस्वती की कृपा का ही विस्तार मानी जाती है।

त्योहार (विस्तृत)

  • वसंत पंचमी (सरस्वती जयंती)
    माघ • शुक्ल • पंचमी • Jan/Feb • भारत, नेपाल, बांग्लादेश
    विद्याव्रतपूजन

परम प्रिय

स्वतंत्र (कभी-कभी ब्रह्मा से संबंध जोड़ा जाता है)

पितृ-परिचय

पिता: ब्रह्मा (पौराणिक परंपरा अनुसार), माता: अज्ञात/अनादि शक्ति

आवास

ब्रह्मलोक • विद्या के केन्द्र • भक्तों के हृदय

आइकनोग्राफी व गुण

वीणापुस्तकजप मालाकमलज्ञानसंगीतकलावाणीपवित्रता

आम प्रतिमा/चित्रण

हंस वाहन या मोर के साथ, श्वेत वस्त्र और शांत मुद्रा

पावन स्थल

सरस्वती मंदिर
पुष्कर, राजस्थान

ज्ञान और वाणी की देवी का प्रसिद्ध स्थल

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शारदा पीठ
काश्मीर (अब पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र)

प्राचीन विद्या पीठ, जहाँ से शारदा लिपि का प्रसार हुआ

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संबंधित ग्रन्थ

ऋग्वेद (सरस्वती सूक्त)सरस्वती स्तोत्रदेवी भागवत पुराणमहाभारत

FAQ

  • वसंत पंचमी का क्या महत्व है?

    वसंत पंचमी, जिसे सरस्वती जयंती भी कहा जाता है, माघ शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन विद्यार्थी और कलाकार देवी सरस्वती की आराधना करते हैं। पुस्तकें, वाद्य और शैक्षिक सामग्री उनके समक्ष रखकर आशीर्वाद माँगा जाता है। पीले वस्त्र पहनना और पीला प्रसाद अर्पित करना शुभ माना जाता है।

  • सरस्वती का स्वरूप कैसा है?

    सरस्वती को श्वेत वस्त्रधारी, कमल पर आसनस्थ और चार भुजाओं में वीणा, पुस्तक, जप माला और वर मुद्रा के साथ चित्रित किया जाता है। उनका वाहन हंस या मोर है। यह स्वरूप शुद्धता, ज्ञान और कला का प्रतीक है।

  • सरस्वती माता को कौन-सा प्रसाद प्रिय है?

    सरस्वती को श्वेत और पीले रंग के प्रसाद प्रिय माने जाते हैं। पीली मिठाइयाँ, खीर, फल और सफेद पुष्प अर्पित करना उत्तम है। परन्तु सबसे बड़ा प्रसाद है अध्ययन और विद्या के प्रति निष्ठा।

  • सरस्वती जप का क्या लाभ है?

    ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ जैसे बीज मंत्र का जप करने से वाणी में मधुरता, स्मरण शक्ति में वृद्धि और अध्ययन में सफलता मिलती है। विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी के समय सरस्वती की आराधना करते हैं।

  • भारत के बाहर भी सरस्वती की पूजा कहाँ होती है?

    भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया (बाली) और जापान में भी सरस्वती की पूजा होती है। बौद्ध और हिंदू दोनों परम्पराओं में वे ज्ञान और कला की देवी मानी जाती हैं।

  • सरस्वती को हंसवाहिनी क्यों कहा जाता है?

    सरस्वती का वाहन हंस है। हंस विवेक का प्रतीक है—कथानुसार हंस दूध और पानी को अलग कर सकता है। यह गुण विवेक और शुद्ध ज्ञान का प्रतीक है, जो सरस्वती का मुख्य वरदान है।

  • क्या विद्यार्थी विशेष रूप से सरस्वती की पूजा करते हैं?

    हाँ, विद्यार्थी सरस्वती की पूजा करके अध्ययन में सफलता और वाणी की स्पष्टता की प्रार्थना करते हैं। परीक्षा के समय विशेष रूप से ‘सरस्वती वंदना’ गायी जाती है—हे सरस्वती, हमें ज्ञान, स्मरण शक्ति और बुद्धि प्रदान करें।

  • सरस्वती का उल्लेख वेदों में कैसे मिलता है?

    ऋग्वेद में सरस्वती को एक नदी और ज्ञान की देवी दोनों रूपों में वर्णित किया गया है। उन्हें वाक् की अधिष्ठात्री कहा गया है और ऋग्वेद के सरस्वती सूक्त में उनका गुणगान मिलता है।

स्रोत/संदर्भ