विवरण
माता सरस्वती विद्या, वाणी, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी हैं। उन्हें वेदों में वाग्देवी और ब्रह्मा की शक्ति कहा गया है। उनका स्वरूप श्वेतवस्त्रा, वीणा वादिनी और हंसवाहिनी के रूप में वर्णित है। वे शुद्धता, सत्य और ज्ञान की प्रतीक मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं में सरस्वती को वेदों की माता कहा गया है। वे ज्ञान की वह शक्ति हैं, जिनसे सम्पूर्ण ब्रह्मांड को स्वर, लय और विज्ञान प्राप्त होता है। उनका वाहन हंस विवेक और शुद्धि का प्रतीक है, जबकि मोर सौंदर्य और कला का संकेत देता है। हाथों में वीणा (संगीत और लय), पुस्तक (ज्ञान), माला (भक्ति और साधना) और कमल (पवित्रता) उनके गुणों को दर्शाते हैं। सरस्वती जयंती या वसंत पंचमी उनका प्रमुख पर्व है। इस दिन विद्यार्थी, कलाकार और शोधकर्ता सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं। शैक्षिक संस्थानों, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में सरस्वती वंदना आयोजित होती है। यह दिन ज्ञानार्जन और नई शुरुआत के लिये अत्यंत शुभ माना जाता है। भारत ही नहीं, नेपाल, बांग्लादेश, बाली (इंडोनेशिया) और जापान तक उनकी पूजा के रूप मिलते हैं। संस्कृत, शास्त्रीय संगीत और भारतीय कला की परंपरा सरस्वती की कृपा का ही विस्तार मानी जाती है।