विवरण
भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, हिन्दू धर्म के आदर्श पुरुष और विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। उनका जीवन सत्य, धर्म, कर्तव्य और आदर्शों का अनुपम उदाहरण है। अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र राम का जन्म त्रेता युग में हुआ। उनके जीवन का वर्णन वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास के रामचरितमानस और अनेक अन्य ग्रंथों में मिलता है। राम जी का जीवन संघर्ष और आदर्शों से भरा हुआ है। वे वनवास के समय अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ जंगलों में रहे। रावण द्वारा सीता हरण के बाद उन्होंने वानर सेना और हनुमान जी की सहायता से लंका पर चढ़ाई की और धर्म की रक्षा करते हुए रावण का वध किया। यह घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का शाश्वत प्रतीक मानी जाती है। राम केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श राजा के रूप में भी पूजित हैं। अयोध्या लौटकर उन्होंने रामराज्य की स्थापना की, जो न्याय, करुणा और समृद्धि से परिपूर्ण था। वे सत्य और धर्म के पालन हेतु किसी भी कठिनाई का सामना करने में पीछे नहीं हटे, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। राम नवमी उनका प्रमुख पर्व है, जो चैत्र मास की शुक्ल नवमी को मनाया जाता है। दीपावली भी श्रीराम से जुड़ा हुआ है, जो उनके 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, थाईलैंड, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी राम कथा और उनके आदर्श व्यापक रूप से पूजे जाते हैं। राम का चरित्र भक्ति और धर्म का आदर्श है। भक्तजन उनके नाम का स्मरण करके साहस, करुणा और धर्मनिष्ठा का मार्ग अपनाते हैं। उनके जीवन और लीलाएँ आज भी समाज और संस्कृति के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।