हनुमान

हनुमान

पवनपुत्रअंजनीनंदनबजरंगबलीमहावीरसंकटमोचकमारुति

विवरण

हनुमान जी, शक्ति, साहस और भक्ति के अद्वितीय प्रतीक हैं। वे पवनपुत्र और अंजनीनंदन के रूप में जन्मे तथा बाल्यकाल से ही अद्भुत पराक्रम और विलक्षण शक्तियों से युक्त थे। हनुमान जी का स्वरूप वानर रूपी है, परंतु वे देवताओं से भी श्रेष्ठ बलशाली और विद्वान हैं। वे केवल बल के ही नहीं, बल्कि ज्ञान और भक्ति के भी अधिपति हैं। रामायण में हनुमान जी की भूमिका सबसे महान मानी जाती है। वे श्रीराम के परम भक्त और सखा हैं। सीता माता की खोज, समुद्र लांघन, लंका दहन और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाने जैसी घटनाएँ उनके साहस और अद्वितीय भक्ति की गवाही देती हैं। युद्धभूमि में उनका पराक्रम अद्वितीय है, किंतु उनका हृदय विनम्र और समर्पित भक्त का है। हनुमान जी का जीवन निष्ठा, धैर्य और निर्भयता का आदर्श प्रस्तुत करता है। वे हर भक्त को यह संदेश देते हैं कि सच्ची भक्ति और आत्मसमर्पण से ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। वे न केवल श्रीराम के सेवक हैं बल्कि भक्तों के दुःख हरने वाले संकटमोचक भी हैं। महाभारत में भी उनका उल्लेख होता है, जहाँ भीम से उनकी भेंट और आशीर्वाद का वर्णन मिलता है। हनुमान जयंती उनका प्रमुख पर्व है, जो चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं। उत्तर भारत, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के विभिन्न मंदिरों में यह उत्सव विशेष रूप से भव्य रूप में मनाया जाता है। मंगलवार और शनिवार भी हनुमान जी की उपासना के विशेष दिन माने जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में हनुमान को अमरत्व प्राप्त है। वे कलियुग में भी भक्तों के लिए जीवित देवता माने जाते हैं, जो संकट के समय त्वरित सहायता प्रदान करते हैं। भक्त उन्हें वीरता, साहस और अटूट भक्ति के प्रेरणास्रोत मानते हैं।

त्योहार (विस्तृत)

  • हनुमान जयंती
    चैत्र • पूर्णिमा • Mar/Apr • भारत
    भक्तिव्रतपाठ
  • हनुमान चालीसा पाठ दिवस
    • साप्ताहिक मंगलवार और शनिवार • भारत
    उपासनाभक्ति

परम प्रिय

निराकार (अविवाहित, ब्रह्मचारी)

पितृ-परिचय

पिता: पवनदेव (वायुदेव), माता: अंजना

आवास

सर्वव्यापी – भक्तों के हृदय में • अयोध्या • कैलाश

आइकनोग्राफी व गुण

गदापर्वतसीने में राम-सीता का चित्रअतुलनीय बलअमरत्वभक्तिसाहससंकटमोचक

आम प्रतिमा/चित्रण

श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के सेवक के रूप में

पावन स्थल

हनुमान गढ़ी
अयोध्या, उत्तर प्रदेश

हनुमान जी के प्रमुख मंदिरों में से एक; भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं

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संकटमोचन मंदिर
वाराणसी, उत्तर प्रदेश

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित; हनुमान चालीसा से जुड़ा हुआ

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सालासर बालाजी
राजस्थान

राजस्थान में स्थित हनुमान भक्तों का प्रमुख तीर्थ

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संबंधित ग्रन्थ

रामायण (वाल्मीकि)सुंदरकांडहनुमान चालीसा (गोस्वामी तुलसीदास)महाभारतरामचरितमानस

FAQ

  • हनुमान जयंती कब मनाई जाती है और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है?

    हनुमान जयंती सामान्यतः चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है (Mar/Apr)। यह दिन हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं तथा मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। आध्यात्मिक रूप से यह दिन निष्ठा, समर्पण और परमार्थ के सिद्धांतों का उत्सव है—हनुमान की भक्ति से प्रेरणा लेकर भक्त अपने कर्तव्य, धैर्य और निःस्वार्थ सेवा के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।

  • सुंदरकांड का पाठ क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?

    सुंदरकांड रामायण का वह भाग है जिसमें हनुमान जी की लंका में सीता माता से भेंट, लंका दहन और श्रीराम के लिए संदेश लाने की महापुरुषता का विस्तृत वर्णन है। इसे सुंदरकांड इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसमें साहस, बुद्धिमत्ता और भक्ति के सुन्दर उदाहरण मिलते हैं। भक्त मानते हैं कि सुंदरकांड का पाठ करनें से मनोवांछित फल मिलते हैं, भय-भाजन से मुक्ति मिलती है और संकटों का समाधान होता है—क्योंकि इसमें हनुमान की निर्भयता और राम-नाम की शक्ति का प्रतिपादन है।

  • हनुमान चालीसा क्यों पढ़ी जाती है और इसके क्या लाभ बताए जाते हैं?

    हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 40 चौपाइयों का संकलन है जो हनुमान जी के गुणों, पराक्रम और भक्ति का गान करती है। इसे नियमित रूप से पढ़ने या सुनने से मानसिक साहस, आत्मविश्वास और संकटों से रक्षण की अनुभुति होती है। पारंपरिक विश्वास के अनुसार हनुमान चालीसा का पाठ रोग-व्याधि, भय, शत्रुता और कठिन परिस्थितियों में भी सुरक्षा प्रदान करता है—परंतु इसका सच्चा लाभ तब मिलता है जब पाठ श्रद्धा और अनुशासन के साथ किया जाए।

  • मंगलवार और शनिवार का हनुमान से क्या संबंध है — क्या इन दिनों विशेष पूजा करनी चाहिए?

    हिंदू परंपरा में मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। मंगलवार को मरुति (हनुमान) का दिन कहा जाता है और भक्त व्रत, दान और विशेष आराधना करते हैं; शनिवार को संकटमोचन रूप और शनिदेव से सम्बन्ध के नाते कुछ भक्त विशेष प्रतिज्ञाएँ रखते हैं। यदि आप इन दिनों पूजा करते हैं तो नियमित परंपरा के अनुसार सुबह अंजीर, चने, मूंगफली, सिंदूर या सिर पर चावल चढ़ाकर प्रसाद अर्पित किया जाता है। पर ध्यान रहे: पूजा का प्रभाव श्रद्धा, नियम और निष्ठा पर निर्भर करता है — केवल 'दिन' देखकर अंध श्रद्धा पर चलना अपेक्षित लाभ नहीं देता।

  • हनुमान को कैसे साधारण रूप से पूजा करें (घरेलू विधि)?

    सरल घर पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, हनुमान जी की तस्वीर या छोटी मूर्ति रखें, दीप जलाएँ, धूप दें और पुष्प व चोटे फल अर्पित करें। 'ॐ हनुमते नमः' या हनुमान चालीसा का पाठ करें। कई भक्त दूर्वा, सिंदूर-मिश्रित तेल (थोड़ा) तथा मोदक/लड्डू अर्पित करते हैं। पूजा के दौरान मन को शुद्ध रखें और कुछ समय भक्ति, राम-नाम या हनुमान स्तुति में लगाएँ।

  • हनुमान के कौन-कौन से मन्त्र सामान्यतः जपे जाते हैं और उनका अर्थ संक्षेप में क्या है?

    प्रमुख मन्त्रों में 'ॐ हनुमते नमः' (हनुमान को नमन), 'श्री रामदूताय नमः' (राम के दूत को नमन) और 'ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्' जैसे मंत्र शामिल हैं। ये मन्त्र भक्त के मन को केन्द्रित करते हैं, साहस और सुरक्षा का भाव जगाते हैं। मन्त्र के उच्चारण में सच्ची श्रद्धा और दूरदर्शिता आवश्यक है — मात्र उच्चारण से अधिक मूख्य है मन का समर्पण।

  • हनुमान को अर्पण के लिए कौन सा प्रसाद उत्तम माना जाता है?

    स्थानिक परम्पराओं में भिन्नता होती है पर सामान्यतः लड्डू, केला, गुड़, मोदक, पवित्र प्रसाद जैसे बेसन के लड्डू और तुलसी/दूर्वा का प्रयोग किया जाता है। कई मंदिरों में सिंदूर-भक्ति (थोड़ा सिंदूर छिड़कना या लगाने की परम्परा) देखने को मिलती है क्योंकि हनुमान को सिंदूर प्रिय कहा जाता है। प्रसाद देते समय मन का समर्पण और निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण है।

  • हनुमान अमर क्यों माने जाते हैं — क्या यह शास्त्रीय प्रमाण पर आधारित है?

    पौराणिक कथाओं में हनुमान को 'चिरंजीवी' (अमर) कहा गया है—ऐसा माना जाता है कि वे कलियुग में भी भक्तों की सहायता हेतु सतत उपस्थित रहेंगे। यह धारणा धार्मिक-आस्था पर आधारित है और कई ग्रंथों/कथाओं में दर्शायी गयी है। शास्त्रीय और लोक धार्मिक पर परंपरागत कथाओं में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है; आधुनिक दृष्टिकोण से इसे आध्यात्मिक रूपक के रूप में भी देखा जा सकता है—अर्थात् भक्ति सदैव जीवित रहती है।

  • क्या हनुमान की उपासना से ज्योतिष/राशिफल संबंधी लाभ होते हैं?

    भक्ति-आधारित दृष्टि से हनुमान की आराधना मनोबल बढ़ाती है और संकटों का सामना करने की शक्ति देती है—जिसे कुछ लोग ग्रह-प्रभावों के अनुकूल मानते हैं। पारंपरिक ज्योतिष में शनिदोष या कमजोर ग्रहों के समय हनुमान की पूजा सुकून व रक्षा दिलाती है। फिर भी यह याद रखें कि अधिकतर ज्योतिषीय समाधान श्रम, निष्ठा और व्यवहारिक उपायों से जुड़े होते हैं—पूजा एक आध्यात्मिक सहारा है।

  • हनुमान से जुड़ी प्रमुख कथाएँ कौन सी हैं जिन्हें बच्चों को सरल रूप में समझाया जा सके?

    कुछ प्रिय और सरल कथाएँ: (1) सीता की खोज — हनुमान का समुद्र लाँघकर लंका जाना और सीता से मिलना; (2) लंका दहन — हनुमान ने लंका जलाई; (3) संजीवनी पर्वत उठाना — लक्ष्मण को बचाने हेतु संजीवनी बूटी लाने का प्रसंग; (4) हनुमान का पर्वत-उठाकर दिखाना — ये सभी साहस, बुद्धि और समर्पण के संदेश देते हैं। इन्हें सरल, नाटकीय रूप में बच्चों को सुनाया जा सकता है ताकि वे भक्ति और नैतिकता सीखें।

  • मंदिर जाते समय हनुमान मंदिर में क्या शिष्टाचार रखें?

    मंडिर में शांति, पवित्रता और सम्मान का पालन करें। जूते बाहर रखें, मोबाइल को शांत रखें, पूजा सामग्री/प्रसाद का सम्मान करें। अगर आप प्रसाद/दान कर रहे हैं तो श्रद्धा से करें। भीड़ में अनुशासन रखें और प्रसाद/विसर्जन के नियमों का पालन करें। कई मंदिरों में विशेष नियम होते हैं—जैसे कुछ स्थानों पर अंदर फोटो नहीं लेने देना—उन्हें अवश्य देखें।

स्रोत/संदर्भ