विवरण
गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक कहा जाता है, विद्या, बुद्धि और समृद्धि के अधिष्ठाता देवता हैं। उनका स्वरूप विशेष है—हाथी का सिर, छोटे कद का शरीर, बड़े कान और सूंड, जो ज्ञान, धैर्य और विवेक का प्रतीक हैं। वे सभी कार्यों में प्रथम पूज्य माने जाते हैं और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके नाम के स्मरण से की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी का जन्म माता पार्वती की तपस्या और प्रेम से हुआ। शिवजी ने उन्हें पुत्र के रूप में स्वीकार किया और बाद में गजमुख प्रदान किया। उनका वाहन मूषक (चूहा) है, जो सूक्ष्मता और विनम्रता का द्योतक है। गणेश जी के प्रिय मोदक प्रसाद स्वरूप अर्पित किए जाते हैं। उनके चार हाथों में अंकुश, पाश, मोदक और आशीर्वाद की मुद्रा होती है। गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, क्योंकि वे भक्तों के जीवन से विघ्न-बाधाओं को दूर करते हैं और ‘सिद्धिदाता’ कहा जाता है, क्योंकि वे ज्ञान और सफलता प्रदान करते हैं। वे केवल भौतिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के मार्गदर्शक भी हैं। गणेश चतुर्थी उनका प्रमुख त्योहार है, जो भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में यह उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहाँ दस दिनों तक गणपति बप्पा की प्रतिमाएँ घर और पंडालों में स्थापित कर भक्त पूजा-अर्चना करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के साथ यह पर्व संपन्न होता है। गणेश जी की महिमा वेद, पुराण और उपनिषदों में वर्णित है। स्कंद पुराण और गणेश पुराण में उनकी लीलाओं और उपदेशों का विशेष उल्लेख मिलता है। भक्तजन उन्हें बुद्धि, विवेक और सफलता का आदर्श मानकर श्रद्धापूर्वक उनकी आराधना करते हैं।