विवरण
माता लक्ष्मी धन, सौभाग्य, ऐश्वर्य और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे भगवान विष्णु की अर्धांगिनी और श्री स्वरूपा मानी जाती हैं। लक्ष्मी का स्वरूप सौम्यता और दिव्य आभा से युक्त है—चार भुजाओं में कमल, स्वर्ण कलश, आशीर्वाद मुद्रा और कभी-कभी शंख धारण करती हैं। उनका वाहन उल्लू है, जो विवेक और अंधकार में मार्गदर्शन का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। वे देवताओं के बीच से विष्णु को पति रूप में स्वीकार कर वैकुण्ठ लोक की अधिष्ठात्री बनीं। वे केवल धन की अधिष्ठात्री ही नहीं बल्कि धर्मयुक्त धन-प्राप्ति, सौभाग्य और जीवन में संतुलन की प्रतीक हैं। दीपावली की रात्रि लक्ष्मी पूजा का प्रमुख पर्व है, जिसमें घरों, दुकानों और मंदिरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन व्यापारी अपने लेखे-खाते की शुरुआत करते हैं और परिवारजन धन व समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। कोजागरी पूर्णिमा भी लक्ष्मी उपासना का विशेष अवसर है। भारत के अतिरिक्त नेपाल, बाली (इंडोनेशिया) और थाईलैंड में भी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वैदिक मंत्रों, पुराणों और स्तोत्रों में उनकी महिमा का विस्तार से वर्णन है। भक्त मानते हैं कि लक्ष्मी कृपा के बिना जीवन में सुख और समृद्धि अधूरी है।