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लक्ष्मी

लक्ष्मी

श्रीमहालक्ष्मीचंचलापद्मा

विवरण

माता लक्ष्मी धन, सौभाग्य, ऐश्वर्य और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे भगवान विष्णु की अर्धांगिनी और श्री स्वरूपा मानी जाती हैं। लक्ष्मी का स्वरूप सौम्यता और दिव्य आभा से युक्त है—चार भुजाओं में कमल, स्वर्ण कलश, आशीर्वाद मुद्रा और कभी-कभी शंख धारण करती हैं। उनका वाहन उल्लू है, जो विवेक और अंधकार में मार्गदर्शन का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। वे देवताओं के बीच से विष्णु को पति रूप में स्वीकार कर वैकुण्ठ लोक की अधिष्ठात्री बनीं। वे केवल धन की अधिष्ठात्री ही नहीं बल्कि धर्मयुक्त धन-प्राप्ति, सौभाग्य और जीवन में संतुलन की प्रतीक हैं। दीपावली की रात्रि लक्ष्मी पूजा का प्रमुख पर्व है, जिसमें घरों, दुकानों और मंदिरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन व्यापारी अपने लेखे-खाते की शुरुआत करते हैं और परिवारजन धन व समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। कोजागरी पूर्णिमा भी लक्ष्मी उपासना का विशेष अवसर है। भारत के अतिरिक्त नेपाल, बाली (इंडोनेशिया) और थाईलैंड में भी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वैदिक मंत्रों, पुराणों और स्तोत्रों में उनकी महिमा का विस्तार से वर्णन है। भक्त मानते हैं कि लक्ष्मी कृपा के बिना जीवन में सुख और समृद्धि अधूरी है।

त्योहार (विस्तृत)

  • दीपावली (लक्ष्मी पूजा)
    कार्तिक • अमावस्या • Oct/Nov • भारत, नेपाल
    समृद्धिउपासनाप्रकाशोत्सव
  • कोजागरी लक्ष्मी पूजा
    आश्विन • शुक्ल • पूर्णिमा • Sep/Oct • पूर्वी भारत (विशेषकर बंगाल, ओडिशा)
    व्रतउपासना

परम प्रिय

विष्णु

पितृ-परिचय

पिता: समुद्र (पौराणिक), माता: अज्ञात

आवास

वैकुण्ठ लोक • क्षीरसागर

आइकनोग्राफी व गुण

कमलस्वर्ण मुद्रा वर्षाउल्लू वाहनधनसमृद्धिसौभाग्यश्रीऐश्वर्य

आम प्रतिमा/चित्रण

विष्णु के साथ, या अकेले कमल पर खड़ी/आसनस्थ रूप में

पावन स्थल

कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर
महाराष्ट्र

शक्ति पीठों में से एक; महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर

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लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर)
दिल्ली

आधुनिक और प्रसिद्ध लक्ष्मी-नारायण मंदिर

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पद्मावती (अलमेलु) मंदिर
तिरुपति, आंध्र प्रदेश

तिरुपति बालाजी से जुड़ा; लक्ष्मी का अवतार माना जाता है

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संबंधित ग्रन्थ

लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद)लक्ष्मी पुराणविष्णु पुराणदेवी भागवत पुराण

FAQ

  • लक्ष्मी जी का प्राकट्य कैसे हुआ?

    पौराणिक कथा अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब देवता और दैत्य अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे, तब चौदह रत्नों के साथ लक्ष्मी जी प्रकट हुईं। वे स्वयं विष्णु के वक्षस्थल में श्री रूप से प्रतिष्ठित हुईं और उनकी अर्धांगिनी बनीं।

  • दीपावली पर लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है?

    दीपावली कार्तिक अमावस्या की रात्रि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस रात लक्ष्मी जी घर-घर भ्रमण करती हैं और स्वच्छ, प्रकाशित तथा भक्ति से भरे घर में प्रवेश कर समृद्धि प्रदान करती हैं। व्यापारी भी इस दिन अपने नए खातों और व्यापार की शुरुआत करते हैं।

  • लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यों माना जाता है?

    लक्ष्मी का वाहन उल्लू है। उल्लू रात्रि में भी देख सकता है—इसलिए वह विवेक, दूरदर्शिता और अंधकार में मार्गदर्शन का प्रतीक है। यह सिखाता है कि धन का उपयोग विवेकपूर्वक करना चाहिए, अन्यथा वह नाशकारी भी हो सकता है।

  • लक्ष्मी जी की आराधना में क्या अर्पित करें?

    लक्ष्मी पूजन में स्वच्छ दीपक, लाल/पीले पुष्प, धूप, मिठाई और विशेष रूप से सिक्के या मुद्रा अर्पित की जाती है। कमल का फूल और शंख का जल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। परन्तु सबसे बड़ा अर्पण है—सच्चा परिश्रम और धर्मयुक्त धनार्जन।

  • कोजागरी पूर्णिमा क्या है और लक्ष्मी से इसका क्या सम्बन्ध है?

    कोजागरी पूर्णिमा आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की रात्रि को मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा होती है। लोग रातभर जागरण करते हैं, क्योंकि मान्यता है कि लक्ष्मी रात्रि में पूछती हैं—'को जागर्ति?' (कौन जाग रहा है)। जागरण करने वाले भक्त को विशेष आशीर्वाद मिलता है।

  • लक्ष्मी का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

    लक्ष्मी केवल भौतिक धन की अधिष्ठात्री नहीं, बल्कि धर्मयुक्त धन और संतुलन की प्रतीक हैं। वे सिखाती हैं कि धन का सदुपयोग धर्म, दान और समाज कल्याण में होना चाहिए। उनका स्वरूप समृद्धि के साथ-साथ संतोष और संतुलन का भी संदेश देता है।

  • लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए कौन से उपाय बताए गए हैं?

    घर और हृदय की स्वच्छता, सत्य-धर्म का पालन, दान, अतिथि सेवा और परिश्रम—ये लक्ष्मी कृपा पाने के मुख्य उपाय बताए गए हैं। केवल धन संग्रह नहीं, बल्कि उसका धर्मसम्मत उपयोग करना ही वास्तविक लक्ष्मी प्राप्ति है।

  • भारत में लक्ष्मी जी के प्रमुख मंदिर कौन से हैं?

    कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर (महाराष्ट्र), पद्मावती मंदिर (तिरुपति), लक्ष्मी नारायण मंदिर (दिल्ली), और लक्ष्मी देवी मंदिर (कर्नाटक) प्रमुख हैं। दीपावली और विशेष अवसरों पर लाखों भक्त यहाँ दर्शन करते हैं।

  • लक्ष्मी जी का नाम 'श्री' क्यों है?

    लक्ष्मी को 'श्री' कहा जाता है क्योंकि वे ऐश्वर्य, समृद्धि और मंगल की अधिष्ठात्री हैं। संस्कृत में 'श्री' शब्द समृद्धि और शुभ का द्योतक है। इसलिए हर शुभ कार्य में 'श्री' का उच्चारण अनिवार्य माना जाता है।

स्रोत/संदर्भ